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सीमा सुरक्षा बल को मिला नया रूप: जैसलमेर में दिखी बीएसएफ की अत्याधुनिक डिजिटल कॉम्बैट यूनिफॉर्म, दो वर्षों की मेहनत से बना नया अवतार

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जैसलमेर, राजस्थान | भारत की सीमाओं के प्रहरी और ‘देश की प्रथम रक्षा पंक्ति’ के रूप में पहचाने जाने वाले सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने अब आधुनिकता की दिशा में एक और बड़ा कदम उठा लिया है। बीएसएफ की नई डिजिटल कॉम्बैट यूनिफॉर्म अब जवानों को केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि तकनीकी मजबूती, सुविधा और स्टाइल का अनोखा संगम प्रदान करेगी। इस यूनिफॉर्म का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन राजस्थान के जैसलमेर में देश की पश्चिमी सीमा पर हुआ, जहां तैनात जवान इस नई पोशाक में नजर आए।

दो साल की मेहनत, गहन रिसर्च और जवानों की राय से बनी खास यूनिफॉर्म

इस यूनिफॉर्म को तैयार करने में दो वर्षों का समय, व्यापक शोध, और विभिन्न भौगोलिक इलाकों में ड्यूटी कर रहे जवानों के फीडबैक को शामिल किया गया है। बीएसएफ के जवानों ने खुद इस ड्रेस को विभिन्न परिस्थितियों में पहनकर टेस्ट किया — खासकर राजस्थान के तपते थार रेगिस्तान, पंजाब के आर्द्र क्षेत्र, और बंगाल के नमीभरे इलाके जैसे विविध जलवायु में। हर इलाके से मिले अनुभवों और सुझावों को ध्यान में रखते हुए इसकी डिज़ाइन और कपड़े में लगातार सुधार किए गए।

पहली बार बीएसएफ ने खुद डिजाइन की वर्दी, पेटेंट भी करवाया

बीएसएफ के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि वर्दी को बल ने खुद डिज़ाइन किया है। न सिर्फ डिज़ाइन, बल्कि इस यूनिफॉर्म को पेटेंट भी करवा लिया गया है ताकि यह केवल बीएसएफ के जवानों के लिए विशेष रहे और बाज़ार में इसकी नकल या दुरुपयोग न हो सके। यह कदम न केवल सुरक्षा की दृष्टि से अहम है, बल्कि बल की प्रतिष्ठा और विशिष्ट पहचान को भी बनाए रखने वाला है।

आराम, लचीलापन और टिकाऊपन पर विशेष ध्यान

नई यूनिफॉर्म का कपड़ा विशेष रूप से चुना गया है, जिसमें 80% कॉटन, 19% पॉलिएस्टर, और 1% स्पैन्डेक्स का मिश्रण है। यह संयोजन वर्दी को हल्का, लचीला, और सांस लेने योग्य बनाता है, जिससे जवानों को हर मौसम में सुविधा बनी रहती है — चाहे 50-55 डिग्री तक तपता रेगिस्तान हो या भीगते जंगल। इसकी तुलना में पुरानी वर्दी का कपड़ा मोटा और गर्मी में असहज करने वाला था।

डिजिटल प्रिंटिंग तकनीक से बनी वर्दी, दुश्मन की नजरों से छिपाने में सहायक

इस वर्दी की डिज़ाइन में डिजिटल प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग किया गया है, जो इसे पारंपरिक यूनिफॉर्म से कहीं अधिक टिकाऊ और ऑपरेशन में उपयोगी बनाता है। रंग संयोजन में 50% खाकी, 45% हरा, और 5% भूरा रंग शामिल है, जो जवान को उसके परिवेश में कैमोफ्लाज करता है यानी उसे दुश्मन की नजरों से छिपने में मदद करता है। यह डिज़ाइन न सिर्फ रणनीतिक रूप से कारगर है, बल्कि दिखने में भी अत्यंत आकर्षक और पेशेवर है।

वर्दी की उम्र होगी लंबी, रखरखाव आसान

नए फैब्रिक और प्रिंटिंग तकनीक के चलते यह वर्दी जल्दी खराब नहीं होती, जिससे इसकी उम्र बढ़ जाती है और जवानों को बार-बार वर्दी बदलने की आवश्यकता नहीं होती। यह सेना के लॉजिस्टिक प्रबंधन और बजट में भी राहत देगा। इसके अलावा, वर्दी की सफाई और रखरखाव भी पहले से आसान है।

बीएसएफ की गौरवशाली परंपरा को दर्शाता नया रूप

बीएसएफ की वर्दी में बदलाव कोई नया कदम नहीं है। 1965 में इसकी स्थापना के बाद से अब तक वर्दी में कई बार संशोधन हुए हैं। आखिरी बार 2010-11 में यूनिफॉर्म में परिवर्तन किया गया था, और अब 2025 में यह नई यूनिफॉर्म बल के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ रही है। यह न केवल जवानों के आत्मविश्वास को नई ऊंचाई देगी, बल्कि बीएसएफ की गौरवशाली परंपरा और शौर्य को भी दर्शाएगी।

हर मोर्चे पर मददगार होगी यह वर्दी

सीमा पर तैनात जवानों को दिन-रात, हर मौसम में अपनी ड्यूटी निभानी होती है। नई वर्दी का लचीलापन, हल्कापन, और जलवायु के अनुरूप डिज़ाइन उन्हें हर परिस्थिति में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करेगा। साथ ही यह उन्हें मानसिक रूप से भी अधिक सशक्त और तैयार महसूस कराएगी।

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