Skip to content

राजस्थान में पहली बार रिश्वत लेते विधायक गिरफ्तार: जयकृष्ण पटेल की कहानी, जो ‘आदिवासी मसीहा’ से घोटालेबाज़ तक पहुंच गई!

6 Min Read

जयपुर/बांसवाड़ा। राजस्थान की राजनीति में उस वक्त भूचाल आ गया, जब एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के नवनिर्वाचित विधायक जयकृष्ण पटेल को राजधानी जयपुर में 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। यह घटना न केवल राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैला रही है, बल्कि यह राज्य के राजनीतिक इतिहास में भी एक काला अध्याय बनकर दर्ज हो गई है—क्योंकि यह पहला मौका है जब कोई मौजूदा विधायक ACB के हाथों रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया हो।

20 करोड़ से शुरू हुई सौदेबाज़ी, 2.5 करोड़ में बनी बात

ACB के डीजी रविप्रकाश मेहरड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस घोटाले की परतें खोलीं। उन्होंने बताया कि जयकृष्ण पटेल ने करौली जिले के तोड़ा भीम क्षेत्र से जुड़े खनन लीज के मामलों में विधानसभा में सवाल न उठाने की एवज में एक ठेकेदार से 20 करोड़ रुपये की मांग की थी। लंबे वार्तालाप के बाद यह डील 2.5 करोड़ रुपये पर फाइनल हुई।

इस सौदे का पहला क़िस्त—20 लाख रुपये—4 मई को जयपुर के ज्योति नगर स्थित पटेल के सरकारी आवास के बेसमेंट में दी जानी थी। इसी वक्त ACB की टीम ने ट्रैप रचकर पटेल को रंगे हाथ पकड़ लिया।

कैसे हुई गिरफ्तारी: जानिए पूरे ऑपरेशन की इनसाइड स्टोरी

ACB ने बताया कि ठेकेदार रविंद्र सिंह ने 4 अप्रैल को इस रिश्वत की मांग की शिकायत दर्ज करवाई थी। इसके बाद पटेल का मोबाइल सर्विलांस पर ले लिया गया और पूरे ऑपरेशन की प्लानिंग गुप्त रूप से की गई।

4 मई की सुबह, जैसे ही ठेकेदार जयपुर पहुंचा और बेसमेंट में पटेल से मिला, उसने 20 लाख रुपये की नकद राशि उन्हें सौंपी। पटेल ने नोटों को गिनने के बाद एक अज्ञात व्यक्ति को वह रकम सौंप दी। ठीक उसी समय, ACB की पांच टीमों ने एकसाथ धावा बोल दिया।

पटेल को मौके पर ही हिरासत में ले लिया गया और जब उनके हाथ धुलवाए गए, तो नोटों में लगे केमिकल की पुष्टि हुई—जो इस बात का पुख्ता सबूत था कि उन्होंने पैसे छुए थे। लेकिन कहानी में रोमांचक मोड़ तब आया, जब पैसे लेकर वह अज्ञात व्यक्ति मौके से फरार हो गया।

कौन है वह तीसरा शख्स जो कैश लेकर भाग गया?

ACB की टीमें अब उस अज्ञात व्यक्ति की तलाश में जुटी हैं, जिसने पटेल के कहने पर नकदी ली और मौके से निकल भागा। क्वार्टर परिसर के CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं और परिसर में तलाशी अभियान जारी है। इस तीसरे शख्स की पहचान इस केस की बड़ी कड़ी साबित हो सकती है।

जयकृष्ण पटेल: एक उभरता हुआ आदिवासी चेहरा या दोहरा चेहरा?

जयकृष्ण पटेल पहली बार बागीदौरा सीट से विधायक बने थे। 2024 के उपचुनाव में उन्होंने भाजपा के कद्दावर नेता सुभाष तंबोलिया को हराकर राजनीति में धमाकेदार एंट्री ली थी। आदिवासी बहुल क्षेत्र में BAP की यह जीत पार्टी के लिए मील का पत्थर मानी जा रही थी।

पटेल ने विधानसभा में खनन, जल संसाधन और आदिवासी हकों से जुड़े मुद्दे जोर-शोर से उठाए थे। इतना ही नहीं, उन्होंने कभी विधानसभा के बाहर भ्रष्टाचार के खिलाफ पोस्टर लेकर प्रदर्शन भी किया था। लेकिन अब उन्हीं पर भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा आरोप लगना उनकी साख को बुरी तरह झकझोर रहा है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: BAP ने कहा साजिश, विपक्ष बोला—पर्दाफाश

BAP के वरिष्ठ नेता और सांसद राजकुमार रोत ने इस कार्रवाई को आदिवासी नेतृत्व को बदनाम करने की साजिश बताया। उन्होंने कहा, “जयकृष्ण पटेल को फंसाया गया है। यह षड्यंत्र है।” वहीं, नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी इसे “सरकारी हथकंडा” बताया और ACB की निष्पक्षता पर सवाल उठाए।

दूसरी ओर, भाजपा और कांग्रेस समेत अन्य दलों ने इस घटना को BAP की कथित नैतिक राजनीति पर तमाचा बताया। उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत ने कहा, “जो पार्टी खुद को आदिवासी अधिकारों की रक्षक बताती है, उसकी असलियत अब सबके सामने है।”

ACB का दावा: सबूत हमारे पास हैं

ACB चीफ रविप्रकाश मेहरड़ा ने कहा कि उनके पास पटेल के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं—फोन रिकॉर्डिंग, ट्रांजैक्शन वीडियो, और केमिकल टेस्ट की रिपोर्ट। उन्होंने बताया कि स्पीकर वासुदेव देवनानी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को इस कार्रवाई से पहले ही सूचित कर दिया गया था।

पटेल को ACB मुख्यालय लाकर मेडिकल परीक्षण कराया गया और दोपहर में उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया। अब उन्हें कोर्ट में पेश कर रिमांड मांगा जाएगा।

आगे क्या? बड़े खुलासों की संभावना

ACB अब पटेल के गनमैन, सहयोगियों और अन्य संभावित संलिप्त लोगों की तलाश कर रही है। साथ ही, पटेल की संपत्तियों की जांच भी शुरू हो गई है, क्योंकि उन पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का संदेह है।

यह मामला अब सिर्फ एक रिश्वत तक सीमित नहीं रहा—यह राजस्थान में सत्ता, सिस्टम और सियासत के घालमेल की पोल खोलता प्रतीत हो रहा है।

जयकृष्ण पटेल की गिरफ्तारी ने राजस्थान की राजनीति में एक अहम मोड़ ला दिया है। यह घटना यह दिखाती है कि चाहे कोई भी दल हो, अगर कोई जनप्रतिनिधि भ्रष्टाचार करता है, तो कानून उसे बख्शेगा नहीं।

अब यह देखना बाकी है कि इस गिरफ्तारी के बाद और कितने चेहरे बेनकाब होते हैं। क्या यह एक नई शुरुआत है या फिर एक और राजनीतिक प्रहसन?

Share This Article
Exit mobile version