जैसलमेर जिले के बासनपीर गांव में धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के पुनर्निर्माण को लेकर छिड़ा विवाद अब प्रशासनिक कार्रवाई के दायरे में पहुंच चुका है। गांव में छतरी निर्माण को लेकर दो समुदायों के बीच हुए टकराव और बढ़ती राजनीतिक सक्रियता के बीच अब प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा-163 के अंतर्गत निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
विरासत की पुनर्बहाली, लेकिन विवाद की आग
बासनपीर गांव के तालाब किनारे सदियों पुरानी वीर स्मृति छतरियां स्थापित थीं, जिन्हें वर्षों पहले तोड़ दिया गया था। हाल ही में एक पक्ष द्वारा इन्हें दोबारा निर्मित करने की पहल की गई थी। स्थानीय प्रशासन से स्वीकृति मिलने के बाद जब निर्माण कार्य शुरू हुआ, तो गांव के ही दूसरे पक्ष द्वारा इसका विरोध किया गया।
10 जुलाई की सुबह, छतरी निर्माण स्थल पर अचानक विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। भारी पथराव, तोड़फोड़ और महिलाओं की भी भागीदारी के चलते मौके पर अफरातफरी मच गई। पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। झड़प में पुलिसकर्मी समेत कई लोग घायल हुए और दो दर्जन से अधिक आरोपियों को हिरासत में लेकर जेल भेजा गया।
प्रशासन की सख्ती, कानून व्यवस्था सर्वोपरि
गांव में हिंसा के बाद स्थिति को सामान्य करने में प्रशासन को सफलता तो मिली, लेकिन मामला थमता नजर नहीं आ रहा था। राजनीतिक नेताओं की लगातार बासनपीर पहुंचने की घोषणाएं आने लगीं, जिससे एक बार फिर हालात बिगड़ने की आशंका बनी। इसी को ध्यान में रखते हुए जैसलमेर उपखंड अधिकारी सक्षम गोयल ने 16 जुलाई को धारा 163 लागू करने का आदेश जारी कर दिया।
यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है और इसके तहत बासनपीर गांव एवं आसपास के क्षेत्र में किसी भी प्रकार की भीड़, सभा, जुलूस, धार्मिक/राजनीतिक आयोजन, हथियारों का प्रदर्शन, और भड़काऊ गतिविधियों पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया गया है।
धारा 163: शांति व्यवस्था का कवच
नवगठित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163, पूर्व की धारा 144 का स्थान ले चुकी है। यह धारा किसी क्षेत्र में संभावित अशांति, दंगे या साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति में सार्वजनिक गतिविधियों पर रोक लगाने का अधिकार प्रशासन को देती है।
बासनपीर में लागू की गई इस धारा के तहत:
5 या उससे अधिक लोगों के एकत्रित होने पर रोक है।
कोई भी व्यक्ति हथियार, लाठी, धारदार वस्तु लेकर नहीं चल सकता।
धार्मिक या राजनीतिक सभा, रैली या जुलूस पर पूरी तरह रोक है।
लाउडस्पीकर, डीजे और ध्वनि विस्तारक उपकरणों के प्रयोग की अनुमति नहीं है।
सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने या भड़काऊ सामग्री पोस्ट करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
जनता से सहयोग की अपील
एसडीएम सक्षम गोयल ने कहा कि यह आदेश जनसुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से जारी किया गया है। उन्होंने आमजन से अपील की कि वे किसी भी प्रकार की अफवाहों से दूर रहें और प्रशासन का सहयोग करें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।