बालोतरा शहर के स्थानीय मौलाना अबुल कलाम आज़ाद विद्यालय के बाहर बालोतरा मुस्लिम समाज के सैकड़ों लोग एकत्रित हुए और हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष भारतीयों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौन श्रद्धांजलि सभा का आयोजन मुस्लिम समाज की पहल पर किया गया, जिसमें समाज के वरिष्ठ जन, युवावर्ग, सामाजिक कार्यकर्ता और व्यापारी वर्ग के लोग शामिल हुए।
श्रद्धांजलि सभा के प्रभारी सलीम खिलेरी ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत देश विरोधी ताकतों के विरुद्ध नारेबाजी से हुई, जिसमें आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ “मुर्दाबाद” के जोरदार नारे लगाए गए। इसके पश्चात सभी उपस्थितजनों ने मोमबत्तियाँ जलाकर दो मिनट का मौन रखकर आतंकी हमले में मारे गए नागरिकों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की।
सभा को संबोधित करते हुए समाजसेवी मेहबूब खान सिंधी ने कहा कि “यह हमला केवल कुछ व्यक्तियों पर नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष पर हमला है। यह कायराना हरकत निंदनीय है और संपूर्ण मुस्लिम समाज इस दुःखद घटना से आहत है। आतंकवाद किसी धर्म का प्रतिनिधित्व नहीं करता, यह मानवता का दुश्मन है।”
समाज के प्रबुद्ध नागरिक अब्दुल रहमान मोयला ने भी इस हमले की तीव्र निंदा करते हुए कहा कि “इस तरह की घटनाएँ केवल नफरत फैलाने का काम करती हैं और हमें एकजुट होकर इसका विरोध करना चाहिए।”
वहीं बालोतरा के समाजसेवी एवं व्यवसायी सैयद ऐजाज अली ने केंद्र सरकार से मांग की कि आतंकवादी संगठनों पर अब सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि “अब समय आ गया है कि भारत सरकार पाकिस्तान को उसकी ही भाषा में जवाब दे और ऐसे आतंकियों को हमेशा के लिए समाप्त किया जाए।”
गुलाम रसूल टांक ने अपने संबोधन में कहा कि “यह हमला सम्पूर्ण हिन्दुस्तानियों पर है। आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता। जो लोग मासूमों का खून बहाते हैं, वे धर्म के नाम पर कलंक हैं।” उन्होंने इस तरह की घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि समाज का हर वर्ग इस घिनौने अपराध के खिलाफ एकजुट है।
साजिद असरफी ने कुरान की आयत का उल्लेख करते हुए कहा कि “जिसने एक बेगुनाह की हत्या की, उसने पूरी इंसानियत की हत्या की।” वहीं एडवोकेट फिरोज़ खान ने भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “वो हममें से नहीं हो सकते जो मासूमों का खून बहाएं। आतंकवादी हमारे समाज का हिस्सा नहीं हैं।”
श्रद्धांजलि सभा में मुस्लिम समाज के उपाध्यक्ष यासीन मोहम्मद छिपा समेत समाज के कई गणमान्य सदस्य और पदाधिकारी उपस्थित रहे। सभा का उद्देश्य केवल श्रद्धांजलि अर्पित करना ही नहीं था, बल्कि यह संदेश देना भी था कि बालोतरा का मुस्लिम समाज हर प्रकार के आतंकवाद का विरोध करता है और देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।