आज की तेज़ रफ्तार और तनावपूर्ण जीवनशैली में हर व्यक्ति कभी न कभी मानसिक उथल-पुथल का शिकार होता है। भागदौड़, प्रतिस्पर्धा और भविष्य की चिंता में उलझे इंसान के मन में अक्सर नकारात्मक विचार घर कर लेते हैं। ऐसे विचार न केवल मन को बेचैन करते हैं, बल्कि नींद उड़ा देते हैं और जीवन को अराजक बना देते हैं। ऐसे समय में अगर कोई राहत देता है, तो वह है संतों का मार्गदर्शन — जो न केवल आत्मा को शांति देता है, बल्कि जीवन को नई दिशा भी प्रदान करता है।
ऐसे ही एक संत हैं प्रेमानंद जी महाराज, जिनकी वाणी में सरलता है, लेकिन प्रभाव गहरा है। उनके सत्संग में न केवल भारत से, बल्कि विदेशों से भी लोग बड़ी संख्या में आते हैं। वे जो कहते हैं, वह सीधा दिल को छूता है और जीवन के हर पहलू को छूने वाली बातें होती हैं। खास बात यह है कि प्रेमानंद जी महाराज की लोकप्रियता युवाओं के बीच तेजी से बढ़ रही है, जो आज के समय में सबसे ज्यादा मानसिक तनाव और भ्रम से गुजर रहे हैं।
मन के बुरे विचारों पर महाराज जी का नजरिया
प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि मन में उठने वाले बुरे विचारों को रोका नहीं जा सकता, क्योंकि यह मन का स्वभाव है। लेकिन उन्हें नकारने या दबाने की बजाय सही दिशा में मोड़ना ज़रूरी है। उनका कहना है कि जैसे बहते पानी को रोका नहीं जा सकता, लेकिन उसे दिशा दी जा सकती है, ठीक वैसे ही मन के विचारों को भी साधा जा सकता है।
वह कहते हैं, “जब भी मन में कोई बुरा विचार आए, तो खुद से सवाल करो कि यह विचार मेरे जीवन को बेहतर बना रहा है या नहीं? यदि नहीं, तो उसे वहीं रोक दो और अपने मन को किसी अच्छे कार्य या सेवा की ओर मोड़ दो। धीरे-धीरे यह अभ्यास मन को प्रशिक्षित कर देता है और विचार शुद्ध होने लगते हैं।”
दैनिक जीवन में कैसे अपनाएं महाराज जी की बातें
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, यदि व्यक्ति रोज़ कुछ समय आत्मचिंतन, साधना और भक्ति में लगाए, तो न केवल उसका मन शांत रहेगा, बल्कि उसके भीतर सकारात्मकता की ऊर्जा भी प्रवाहित होगी। वह कहते हैं कि “हर दिन 10 मिनट मौन में बैठो, बिना किसी सोच के। यह छोटा सा अभ्यास तुम्हारे भीतर बड़े बदलाव की शुरुआत करेगा।”
उनकी शिक्षाएं न केवल धर्म और भक्ति तक सीमित हैं, बल्कि वे जीवन की जटिलताओं को भी सुलझाने वाले सूत्र देते हैं। चाहे वह पारिवारिक समस्या हो, करियर से जुड़ा तनाव हो या रिश्तों में उलझन — उनके पास हर सवाल का सहज और व्यावहारिक उत्तर होता है।
सत्संगों में उमड़ती भीड़, बढ़ती श्रद्धा
देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित होने वाले उनके सत्संगों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से भी लाखों लोग उनके प्रवचनों से जुड़ रहे हैं। YouTube और फेसबुक पर उनके वीडियो करोड़ों बार देखे जा चुके हैं। लोगों का मानना है कि उनके प्रवचनों को सुनने के बाद जीवन को देखने का नजरिया ही बदल जाता है।
आज जब मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ी चुनौती बन चुका है और लोग अकेलेपन व नकारात्मकता से जूझ रहे हैं, तब प्रेमानंद जी महाराज जैसे संतों की शिक्षाएं उम्मीद की एक किरण बनकर सामने आई हैं। यदि हम उनकी बातों को केवल सुनने तक सीमित न रखकर जीवन में उतारें, तो निश्चित ही मन की अशांति धीरे-धीरे समाप्त होगी और जीवन में सकारात्मकता की रोशनी फैलेगी।