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पाकिस्तानी बहुओं को भारत छोड़ने का आदेश, लेकिन जैसलमेर से उठी इंसानियत की आवाज ने दिल छू लिया

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भारत-पाकिस्तान संबंधों की तल्ख़ियों के बीच जैसलमेर से एक ऐसी मानवीय कहानी सामने आई है, जिसने सख्त सरकारी आदेशों के बीच इंसानियत की उम्मीदें जगा दी हैं। साल 2023 में जैसलमेर के दो चचेरे भाई सालेह मोहम्मद और मुश्ताक अली ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत की दो लड़कियों करम खातून (21) और सचुल (22) से शादी की। लेकिन करीब डेढ़ साल के लंबे इंतजार के बाद जब ये पाकिस्तानी बहुएं 11 अप्रैल 2025 को भारत पहुंचीं, तो मात्र 10 दिन बाद ही हालात ने करवट ली।

25 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के सभी शॉर्ट-टर्म वीजा रद्द करने का आदेश दिया। नतीजतन, इन दोनों नवविवाहित पाकिस्तानी महिलाओं को भी भारत तुरंत छोड़ने का निर्देश दे दिया गया। यह खबर सुनते ही जैसलमेर में दोनों परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मुश्ताक अली सदमे में आकर बीमार हो गए और उन्हें जोधपुर में इलाज के लिए भर्ती कराना पड़ा।

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इस संकट के बीच दोनों दुल्हनों के ससुराल पक्ष ने पुलिस अधीक्षक, एफआरओ जैसलमेर और राज्य के गृह विभाग से मानवीय आधार पर मदद की गुहार लगाई। ससुर हाजी अब्दुल्ला ने कहा कि करम खातून के माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं, ऐसे में उसे अकेले पाकिस्तान भेजना मुमकिन नहीं। रोती हुई दुल्हनों ने कहा, “पतियों से बिछड़ने से बड़ा दुख और क्या हो सकता है?”

गुप्तचर ब्यूरो जोधपुर जोन के डीआईजी अजय सिंह ने पुष्टि की कि दोनों पाकिस्तानी महिलाओं को भारत छोड़ने का नोटिस दिया गया था, लेकिन उनके विवाह के दस्तावेज और मानवीय अपील के आधार पर अब मामला केंद्रीय गृह मंत्रालय के विचाराधीन है। तब तक दोनों दुल्हनों को जैसलमेर में ही अपने पतियों के साथ रहने की अनुमति दे दी गई है।

राजस्थान सरकार के गृह विभाग ने भी इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है। जब तक अंतिम आदेश नहीं आता, तब तक दोनों बहुएं जैसलमेर में ही रहेंगी। यह मामला इस बात का उदाहरण है कि कानून और सुरक्षा अपनी जगह हैं, लेकिन जब बात दो परिवारों के टूटते रिश्तों और भावनाओं की हो, तो इंसानियत भी आवाज उठाती है।

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