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प्लेन क्रैश में बाड़मेर के लाल की दर्दनाक मौत: डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह गया, मां बोली- गांव की सेवा का जुनून था

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बाड़मेर/अहमदाबाद

गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार को हुए भयावह विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस त्रासदी में बाड़मेर के धोरीमन्ना क्षेत्र के बोर चारणान गांव का होनहार छात्र जयप्रकाश चौधरी (20) भी असमय काल के गाल में समा गया। जयप्रकाश अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस सेकंड ईयर का छात्र था। वह हादसे के समय कॉलेज हॉस्टल के मैस में खाना खा रहा था, जब एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 एक हॉस्टल की इमारत से टकरा गई। मलबा गिरा और जयप्रकाश 30% जल गया। अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी।

हादसे की घड़ी: एक सेकंड ने छीन लिया जीवन

गुरुवार दोपहर लगभग 1:20 बजे जयप्रकाश अपने दोस्तों के साथ लाइब्रेरी में था। तभी उसके एक साथी ने कहा कि चलो बाहर से आम लेकर आते हैं। लेकिन जयप्रकाश ने कहा,

> “तुम लोग जाओ, मैं मैस में खाना खा लूंगा।

यह उसका आखिरी फैसला साबित हुआ। वह मैस में चला गया और रोटी लेने किचन की तरफ बढ़ा। तभी आसमान से कहर बरपा — विमान कॉलेज की इमारत से टकराया और किचन की दीवार उसके ऊपर आ गिरी।

एक मां का सपना, जो अधूरा रह गया

जयप्रकाश की मां का सपना था कि उसका बेटा डॉक्टर बने और गांव के लोगों की सेवा करे। उसी सपने को साकार करने के लिए जयप्रकाश ने नीट की परीक्षा में 675 अंक प्राप्त कर BJ मेडिकल कॉलेज, अहमदाबाद में दाखिला लिया था। यह कॉलेज देश के प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों में गिना जाता है।

> “जयप्रकाश हमेशा कहता था – मैं गांव लौटूंगा, यहां के लोगों का इलाज करूंगा।”

– भाई मंगलाराम ने नम आंखों से बताया।

कर्ज लेकर भेजा था पढ़ने, अब लौट आया अर्थी पर

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जयप्रकाश के पिता धर्माराम, एक किसान हैं। उन्होंने खेती और मजदूरी कर बेटे को कोटा भेजा था। पढ़ाई के लिए कर्ज उठाया था। दो साल कोचिंग करवा कर बेटे को डॉक्टर बनाने का सपना देखा था, जिसे अब श्मशान की चिता ने लील लिया।

जब जयप्रकाश की पार्थिव देह शुक्रवार शाम गांव पहुंची, तो पूरा गांव फफक पड़ा। हजारों लोग शवयात्रा में शामिल हुए। जिला कलेक्टर टीना डाबी और एसपी नरेंद्र मीना खुद घर पहुंचे और परिजनों को ढांढस बंधाया। वहीं सीएम भजनलाल शर्मा ने फोन पर पिता से बात कर गहरा शोक जताया।

होनी को कौन टाल सकता है” – नेताओं की संवेदनाएं

भाजपा जिलाध्यक्ष अनंतराम विश्नोई ने कहा कि जयप्रकाश अत्यंत होनहार था, लेकिन होनी को कोई नहीं टाल सकता।

> “ईश्वर ने तो जैसे हाथ से निवाला छीन लिया हो। दुख की इस घड़ी में हम परिवार के साथ हैं।”

मौत से पहले का कॉल: “फोन की बैटरी डाउन है, खाना खाने जा रहा हूं”

दर्द इस बात का भी है कि हादसे से महज कुछ मिनट पहले जयप्रकाश ने अपने भाई मंगलाराम को कॉल किया था।

> “उसने कहा – मैं मैस जा रहा हूं, खाना खाने। बैटरी डाउन हो रही है, फोन बंद हो सकता है।”

और फिर वाकई फोन बंद हो गया और जयप्रकाश की आवाज कभी वापस नहीं आई।

गांव में मातम, हिम्मत टूट चुकी है

जयप्रकाश की मौत से पूरे गांव में शोक की लहर है। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं – हर कोई फूट-फूट कर रो रहा है। जिस घर से डॉक्टर बनने की उम्मीद जगी थी, वहां अब सन्नाटा पसरा है। मां की आंखें बेटे की तस्वीर पर अटकी हैं, और पिता की हिम्मत जवाब दे चुकी है।

जयप्रकाश की कहानी अब आंकड़ा नहीं, प्रेरणा है

देश एक MBBS छात्र की मौत को शायद आंकड़ों में गिन ले, लेकिन जयप्रकाश की कहानी एक पीढ़ी की प्रेरणा बन गई है जो बताती है कि संघर्ष, मेहनत और सपनों की ऊंचाई कैसे होती है। और यह भी कि नियति कब क्या मोड़ ले ले, कुछ कहा नहीं जा सकता।

DAILY NEWS TRACK द्वारा जयप्रकाश को श्रद्धांजलि

हम जयप्रकाश को श्रद्धांजलि देते हैं। उनका अधूरा सपना आज हर उस छात्र का सपना बनना चाहिए, जो कठिनाइयों के बावजूद कुछ बड़ा करने की ख्वाहिश रखता है।

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