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जसोलधाम में वैशाख शुक्ल त्रयोदशी महोत्सव: श्रद्धा, भक्ति और सेवा का ऐतिहासिक संगम, हजारों श्रद्धालुओं ने किए दिव्य दर्शन

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भव्य पूजा-अर्चना, छप्पन भोग का चढ़ाया गया प्रसाद

राजस्थान के मरुस्थलीय अंचल में स्थित जसोलधाम में वैशाख शुक्ल त्रयोदशी के शुभ अवसर पर आस्था, भक्ति और दिव्यता का अद्वितीय नजारा देखने को मिला। श्री राणीसा भटियाणीसा के इस पवित्र धाम में शनिवार को हजारों श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी, जहां भाव-विभोर वातावरण में माता के जयकारों से गगन गुंजायमान हो उठा।

भोर होते ही उमड़ा आस्था का सैलाब
प्रातःकालीन मंगला आरती में सूर्योदय से पहले ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें जसोलधाम के प्रांगण में उमड़ने लगी। महिला, पुरुष, बच्चे व वृद्ध हर आयु वर्ग के भक्तजन मां जसोल के दर्शनों के लिए भावविभोर नजर आए। मंदिर परिसर को फूलों, रंग-बिरंगी झालरों से विशेष रूप में सजाया गया। मंदिर परिसर में बज रही धार्मिक धुनों ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद से सराबोर कर दिया।

वैदिक मंत्रों के बीच विशेष पूजा
धार्मिक अनुष्ठानों की श्रृंखला में वेदपाठी विद्वानों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ माता श्री राणीसा भटियाणीसा की विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया। तथा मंदिर स्थित समस्त मंदिरों श्री बायोसा, श्री सवाईसिंह जी, श्री लाल बन्ना सा, श्री खेतलाजी एवं श्री काला – गौरा भेरूजी मंदिरों में भी सामूहिक भक्ति का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। हर मंदिर से घंटियों की ध्वनि और भजनों की गूंज श्रद्धालुओं के हृदय को छूती रही।

छप्पन भोग का दिव्य आयोजन

जसोलधाम में वैशाख शुक्ल त्रयोदशी महोत्सव: श्रद्धा, भक्ति और सेवा का ऐतिहासिक संगम, हजारों श्रद्धालुओं ने किए दिव्य दर्शन 3


इस पावन अवसर पर बालोतरा निवासी मुकेश कुमार नंदकिशोर खंडेलवाल परिवार द्वारा भव्य छप्पन भोग का आयोजन किया गया। विभिन्न पकवानों, मिष्ठानों और फलाहार से युक्त यह दिव्य प्रसाद श्री राणीसा भटियाणीसा सहित मंदिर प्रांगण स्थित समस्त मंदिरों में अर्पित किया गया और श्रद्धालुओं में भक्ति भाव के साथ वितरित किया गया। भक्तजनों ने इसे आत्मिक प्रसन्नता और दिव्य अनुभूति के साथ ग्रहण किया।

प्रसाद के थाल का अर्पण तथा सुख, शांति एवं समृद्धि को लेकर मंगल कामनाएं

त्रयोदशी के शुभ अवसर पर रावल श्री मल्लीनाथ जी के 25वें गादीपति एवं रावल श्री कल्याणसिंह जी के दसवें वंशज, वर्तमान में उनके दशम अधिपति रावल श्री किशन सिंह जी जसोल ने रावलगढ़ जसोल से श्रद्धा एवं भक्तिभाव के साथ भोग प्रसाद का थाल लाकर अर्पण किया। यह अर्पण उन्होंने श्री राणीसा भटियाणीसा, श्री कल्याण सिंह जी को किया तथा इसी भोग का अर्पण मंदिर प्रांगण स्थित समस्त मंदिरों में किया गया तथा रावल साहब ने अपने परिवार, संस्थान ट्रस्टीज, प्रबंधन समिति सदस्यों, कर्मचारियों और मां जसोल के समस्त भक्तों के जीवन में एवं संपूर्ण राष्ट्र में सुख, समृद्धि और शांति को लेकर मंगलकामनाएं की तथा मां जसोल से राष्ट्र विरोधी शक्तियों के विध्वंस एवं विनाश करने को लेकर विशेष आराधना की।

गर्मी से राहत के लिए विशेष इंतजाम
भीषण गर्मी को देखते हुए श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु मंदिर प्रबंधन द्वारा विशेष प्रबंध किए गए। पूरे मंदिर परिसर में छायादार टेंट, एयर कूलर, फंव्वारे, जगह-जगह ठंडे पानी की व्यवस्था की गई। जिससे आने वाले भक्तों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

आस्था की शक्ति से आलोकित हुआ जसोल
यह आयोजन धार्मिक श्रद्धा, सेवा, अनुशासन और मानवीय संवेदनाओं का संगम बन गया। श्री राणी भटियाणी के चरणों में झुकी हजारों आस्थाएँ यह संदेश देती रहीं कि जसोलधाम जीवन के आध्यात्मिक उत्थान का एक जीवंत प्रेरणास्रोत है।

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