पचपदरा/पाटोदी। कभी-कभी किस्मत का खेल इतना बेरहम हो जाता है कि खुशियों से भरी तस्वीरें कुछ ही पल बाद गहरे शोक का कारण बन जाती हैं। गुरुवार रात नागौर-लाडनूं मार्ग पर मगरासर फांटा के समीप हुआ सड़क हादसा इसकी दर्दनाक मिसाल बन गया। इस भीषण हादसे ने पाटोदी व पचपदरा कस्बे के तीन परिवारों से उनके अपने छीन लिए, जिससे पूरे क्षेत्र में मातम पसरा हुआ है।
जानकारी के अनुसार, पाटोदी निवासी सुरेश कुमार माली (पुत्र बाबूलाल माली), उनकी पत्नी उषा देवी और पचपदरा के महावीर माली (पुत्र अजाराम माली) अपनी फैमिली के साथ धार्मिक यात्रा से लौट रहे थे। खाटू श्याम जी के दर्शन कर लौटते समय मगरासर फांटा के पास उनकी कार सड़क किनारे खड़े डंपर से जा भिड़ी। हादसा इतना जबरदस्त था कि तीनों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य सात लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
हंसी से शुरू हुआ सफर, मातम में बदला
जिस यात्रा की शुरुआत हंसी-खुशी और आस्था के साथ हुई थी, वह चंद घंटों में मातम में बदल गई। परिवारों ने घर से निकलते समय यह कभी नहीं सोचा था कि यह सफर उनकी जिंदगी का अंतिम सफर साबित होगा। हादसे से ठीक पहले सुरेश कुमार ने अपनी पत्नी और बच्चों के साथ एक सेल्फी ली थी, जो अब हर किसी की आंखें नम कर रही है। वह तस्वीर अब उनके जीवन की अंतिम याद के रूप में लोगों के दिलों में बस गई है।
पाटोदी में एक साथ दो अर्थियां उठीं, पचपदरा में भी मचा कोहराम
हादसे की खबर जैसे ही पाटोदी और पचपदरा में पहुंची, दोनों गांवों में कोहराम मच गया। पाटोदी में सुरेश कुमार और उनकी पत्नी उषा की एक साथ दो अर्थियां उठीं, तो गांव का हर शख्स सिहर उठा। महिलाएं-बच्चे सब गमगीन नजर आए। हर किसी के दिल से बस यही आवाज आ रही थी—‘ऐसा दुख किसी के भी घर ना आए।’ उधर पचपदरा में महावीर माली के शव के पहुंचते ही माहौल और भी ज्यादा भावुक हो गया। उनकी पत्नी और मां की चीखें पूरे गांव को सन्न कर गईं।
छोटी-छोटी खुशियों के सपने पल भर में बिखर गए
सड़क हादसे में जान गंवाने वाले सुरेश कुमार बालोतरा सब्जी मंडी में सब्जी की दुकान चलाते थे। वे तीन भाइयों में सबसे बड़े थे और पूरे परिवार का मुख्य सहारा थे। उनके पीछे दो बेटियां और एक दस वर्षीय बेटा रह गया है। अब परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनके छोटे भाइयों पर आ गई है। उधर, पचपदरा के महावीर माली भी परिवार के अकेले कमाने वाले थे। उनकी शादी को अभी सिर्फ तीन साल ही हुए थे और उनका डेढ़ साल का छोटा बेटा है, जो अब पिता की छांव से वंचित हो गया है।
“जल्द लौटेंगे” कहकर निकले थे, अंतिम सफर बन गया
परिवार वालों ने बताया कि जब वे मंदिर के दर्शन के लिए निकले थे, तो बड़े विश्वास से कहा था कि ‘जल्दी लौट आएंगे।’ पर किसे पता था कि उनकी कही यह बात ही आखिरी संवाद बन जाएगी। गांव के बुजुर्गों ने कहा कि इतने बड़े हादसे के बाद पूरे क्षेत्र में वर्षों तक इस दिन को याद किया जाएगा।
अंतिम विदाई में उमड़ा पूरा गांव
हादसे के बाद जब अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हुईं, तो पाटोदी और पचपदरा के साथ-साथ आसपास के गांवों से भी भारी संख्या में लोग पहुंचे। जिसने भी यह मंजर देखा, उसकी आंखें भर आईं। गांव की गलियों से अर्थियां उठीं तो हर कोई गमगीन नजर आया। गांव की कई गलियों में चूल्हे तक नहीं जले।