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अंधेरे में डूबा बालोतरा शहर

Media Desk DNT
2 Min Read
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बालोतरा।
बुधवार रात जब बालोतरा शहर 15 मिनट के लिए अंधेरे में डूबा, तो यह सिर्फ एक सुरक्षा अभ्यास नहीं था, बल्कि यह उस जनचेतना और अनुशासन का परिचायक बन गया जो किसी भी आपात स्थिति में बेहद आवश्यक होता है।

ब्लैकआउट के दौरान घरों में बैठकर लोगों ने आत्मचिंतन किया, बच्चों को आपात स्थितियों की जानकारी दी और मोबाइल स्क्रीन तक से परहेज़ किया। कुछ मोहल्लों में तो लोगों ने सामूहिक रूप से यह तय किया कि भविष्य में भी प्रशासन के किसी भी निर्देश का पूरी निष्ठा से पालन करेंगे।

सामाजिक संगठनों की सजग भागीदारी
नगर के कई सामाजिक संगठनों ने ब्लैकआउट से पहले जनजागरूकता अभियान चलाया। युवाशक्ति संगठन के कार्यकर्ता घर-घर जाकर ब्लैकआउट की जानकारी देते देखे गए। वहीं महिला मंडलों ने घरों में आपात किट और प्राथमिक चिकित्सा की उपयोगिता पर बच्चों को जानकारी दी।

एकजुटता का संदेश
शहर के वरिष्ठ नागरिक लक्ष्मण दत्ता ने कहा, “हमने अपने जीवन में कई आपातकाल देखे हैं, पर यह पहला अवसर है जब पूरे शहर ने अभ्यास को इतनी गंभीरता से लिया। यह आने वाले समय के लिए उम्मीद की किरण है।”

प्रशासन की दृष्टि में ब्लैकआउट बना जनसंपर्क का माध्यम
उपखण्ड अधिकारी ने कहा कि “यह अभ्यास सिर्फ सुरक्षा नहीं, विश्वास की परीक्षा भी था। प्रशासन और जनता के बीच संवाद और सहयोग से ही हम किसी भी आपदा से निपट सकते हैं।” उन्होंने संकेत दिए कि आगे चलकर स्कूल-कॉलेजों में भी इस तरह के प्रशिक्षण आयोजित किए जाएंगे।

अभ्यास ने दिखाया कि बालोतरा सिर्फ रेत का शहर नहीं, जागरूक नागरिकों का गढ़ है।

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