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ईरान-इजराइल युद्ध के बीच जॉर्जिया में फंसे जैसलमेर के सीए भाविक भाटिया परिवार सहित सकुशल लौटे, घर पहुंचते ही छलके माता-पिता के आंसू

Narpat Mali
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जैसलमेर। ईरान और इजराइल के बीच छिड़े युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैदा हुए तनाव ने कई भारतीयों को मुश्किल में डाल दिया। ऐसे ही हालात का सामना राजस्थान के जैसलमेर निवासी सीए भाविक भाटिया और उनके परिवार को करना पड़ा, जब वे जॉर्जिया की राजधानी तिबलिसी में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय टैक्स कंसलटेंट्स कॉन्फ्रेंस में भाग लेने गए थे।

भाविक भाटिया, उनकी पत्नी साक्षी और छोटा पुत्र कॉन्फ्रेंस के सिलसिले में वहां गए थे। लेकिन जैसे ही युद्ध के हालात बिगड़े, फ्लाइट सेवाएं प्रभावित हो गईं और यह परिवार वहां फंस गया। हालात इतने गंभीर हो गए कि तिबलिसी से बटूमी पहुंचने के बाद वे कुवैत के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट नहीं पकड़ पाए, जिससे उन्हें मजबूरी में वहीं रुकना पड़ा।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सीए भाविक भाटिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पीएमओ को ट्विटर के माध्यम से ट्वीट कर तत्काल सहायता की अपील की। इस बीच जब जैसलमेर में रह रहे उनके परिवारजनों को उनके फंसने की खबर मिली तो घर में चिंता का माहौल गहराता गया।

भाविक के पिता सीए प्रमोद भाटिया ने बताया कि बटूमी से उनका परिवार सड़क मार्ग से तुर्किए (तुर्की) के इस्तांबुल पहुंचा। वहां से फ्लाइट लेकर वे दिल्ली पहुंचे और फिर जोधपुर होते हुए सड़क मार्ग से सोमवार दोपहर करीब ढाई बजे जैसलमेर पहुंचे।

घर लौटते ही भाविक भाटिया का उनके परिजनों द्वारा केसरिया उपरणा ओढ़ाकर और माल्यार्पण कर भावभीना स्वागत किया गया। उनकी माता सुनीता और पिता प्रमोद भाटिया की आंखें नम हो गईं। पूरे परिवार ने भगवान श्रीकृष्ण का आभार प्रकट करते हुए बार-बार धन्यवाद दिया कि उनके लाल की घर वापसी सकुशल हो सकी।

गौरतलब है कि जॉर्जिया में आयोजित राजस्थान टैक्स कंसलटेंट्स की इस कॉन्फ्रेंस में राजस्थान के कुल 61 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। यह दल 8 जून को जयपुर से रवाना हुआ था और 13 जून को वापसी प्रस्तावित थी, लेकिन बीच में भड़की जंग के कारण विमान सेवाएं प्रभावित हो गईं और समूह को सुरक्षित लौटने में कई दिनों तक संघर्ष करना पड़ा।

जैसलमेर का यह परिवार जब सोमवार को सकुशल घर पहुंचा, तो पूरे मोहल्ले और जान-पहचान वालों में खुशी की लहर दौड़ गई। यह घटना इस बात की मिसाल बन गई कि संकट चाहे जितना बड़ा हो, अगर हौसला और प्रयास ईमानदार हो तो रास्ता निकल ही आता है।

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