सोशल मीडिया पर इन दिनों एक सनसनीखेज दावा वायरल हो रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार देशभर में प्रेस आईडी कार्ड रखने वाले व्यक्तियों की व्यापक जांच शुरू करने जा रही है। इस संदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि फर्जी पत्रकारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिनमें एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी तक की बात कही गई है।
वायरल संदेश में यह भी दावा किया गया है कि एक केंद्रीय मंत्री ने बयान दिया है कि कुछ फर्जी पत्रकारों की वजह से देश के सच्चे और ईमानदार पत्रकारों की छवि को ठेस पहुंच रही है, इसलिए ऐसे लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
हालांकि, प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की फैक्ट चेक इकाई ने इस पूरे वायरल संदेश की पड़ताल की और स्पष्ट रूप से इसे पूरी तरह से फर्जी और भ्रामक करार दिया है।
वायरल संदेश में क्या-क्या दावे किए गए थे?
सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे इस संदेश में निम्नलिखित बातें कही गई थीं:
केंद्र सरकार द्वारा प्रेस आईडी कार्ड धारकों की देशभर में जांच की जाएगी।
फर्जी पत्रकार पाए जाने पर उनके खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज होगी और उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने बयान दिया है कि फर्जी पत्रकारों के कारण असली पत्रकारों की साख और प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही है।
सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और जल्द ही इस पर सख्त कार्रवाई होगी।
इस प्रकार के दावों के साथ यह मैसेज आम लोगों के बीच भ्रम और डर का माहौल पैदा कर रहा था, खासकर उन स्वतंत्र पत्रकारों और मीडिया से जुड़े लोगों के लिए जिनके पास कोई मान्यता प्राप्त संस्थान का प्रेस कार्ड नहीं है।
PIB फैक्ट चेक ने खोली हकीकत की परतें
जब यह मैसेज सोशल मीडिया पर तेजी से फैलने लगा, तो PIB फैक्ट चेक की टीम सक्रिय हुई और इस वायरल दावे की गहन पड़ताल की। जांच के दौरान यह पाया गया कि:
यह पूरा मैसेज निराधार और तथ्यहीन है।
केंद्र सरकार या किसी मंत्री की ओर से ऐसा कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
फर्जी पत्रकारों पर कार्रवाई से जुड़ा कोई सरकारी आदेश या अधिसूचना भी जारी नहीं हुई है।
सोशल मीडिया पर शेयर किया गया मैसेज जनता को गुमराह करने वाला और अफवाह फैलाने वाला है।
PIB ने इस बात की पुष्टि करते हुए अपने आधिकारिक ट्विटर/X हैंडल @PIBFactCheck से एक पोस्ट जारी किया, जिसमें वायरल मैसेज का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए साफ लिखा गया – “यह दावा फर्जी है। कृपया इस प्रकार के संदेशों पर भरोसा न करें और इन्हें आगे साझा करने से बचें।”
फेक न्यूज का बढ़ता खतरा और जिम्मेदारी का सवाल
आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया सूचना के आदान-प्रदान का एक प्रभावशाली माध्यम बन गया है, लेकिन इसके साथ ही फेक न्यूज और अफवाहों का खतरा भी बढ़ गया है। रोजाना हजारों की संख्या में भ्रामक और असत्यापित संदेश व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर वायरल होते हैं।
यह जरूरी हो गया है कि हम किसी भी खबर या संदेश को आगे साझा करने से पहले उसकी सच्चाई की पुष्टि करें। फर्जी खबरें न केवल लोगों को गुमराह करती हैं, बल्कि सामाजिक अशांति और अविश्वास की स्थिति भी पैदा कर सकती हैं।
क्या है PIB फैक्ट चेक?
भारत सरकार की ओर से प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने साल 2019 में एक विशेष फैक्ट चेक इकाई की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य सरकार से संबंधित किसी भी फर्जी या भ्रामक सूचना की सच्चाई का पता लगाना और आमजन को जागरूक करना है।
PIB फैक्ट चेक:
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही अफवाहों की पड़ताल करता है,
फर्जी खबरों की पुष्टि या खंडन करता है,
जनता को सच्ची और सटीक जानकारी उपलब्ध कराता है।
जनता इस सेवा का उपयोग व्हाट्सएप नंबर +918799711259 या ट्विटर/X हैंडल @PIBFactCheck के माध्यम से कर सकती है।
सतर्क रहें, जिम्मेदार बनें
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ “फर्जी पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर और गिरफ्तारी” वाला दावा पूरी तरह से फर्जी और गुमराह करने वाला है। सरकार की ओर से ऐसा कोई आधिकारिक निर्देश, अधिसूचना या मंत्री का बयान मौजूद नहीं है। PIB ने इस खबर का खंडन कर दिया है और नागरिकों को सलाह दी है कि वे इस तरह की खबरों को बिना जांचे शेयर न करें।
हमें डिजिटल युग में जागरूक और जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभानी होगी, ताकि अफवाहें और फर्जी खबरें हमारे समाज और लोकतंत्र को नुकसान न पहुंचा सकें।
📌 अगर आपके पास भी कोई ऐसा मैसेज आया है जिसकी सच्चाई को लेकर आप संदेह में हैं, तो PIB फैक्ट चेक से संपर्क करें और भ्रामक सूचनाओं के प्रसार को रोकने में मदद करें।