स्थानीय लोगों ने बताया कि यह भवन रिहायशी इलाके के नजदीक स्थित है और आसपास के बच्चे अक्सर इसके परिसर में खेलते हैं। हादसे के वक्त भी दो बच्चे भवन के नजदीक खेलते हुए देखे गए थे, जो महज कुछ मिनट पहले उस कमरे से हटे थे। यदि यह दुर्घटना कुछ पल पहले होती, तो जानमाल की बड़ी क्षति से इनकार नहीं किया जा सकता था।
बालोतरा उपखंड के पचपदरा कस्बे में तहसील कार्यालय रोड पर वर्षों से वीरान पड़ी एक जर्जर सरकारी इमारत रविवार को दुर्घटना का कारण बन गई। यह इमारत किसी समय राजकीय सीनियर उच्च माध्यमिक विद्यालय का हिस्सा हुआ करती थी, लेकिन बीते तीन दशकों से उपेक्षा की मार झेल रही थी। रविवार को इस भवन का एक कमरा अचानक धराशाई हो गया, जिसमें बारिश से बचने के लिए भीतर छिपे दो गौवंशों की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे के बाद इलाके में हड़कंप मच गया और स्थानीय लोगों में भारी रोष व्याप्त है।
तीन दशक पुराना ढांचा बना मौत का बुलावा
जानकारी के अनुसार, यह भवन वर्ष 1992 तक विद्यालय संचालन में प्रयुक्त होता रहा, लेकिन बाद में जब विद्यालय के लिए नई इमारत का निर्माण हुआ, तो इस पुराने ढांचे को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। समय के साथ इमारत की हालत लगातार बिगड़ती चली गई, लेकिन इसकी मरम्मत या ध्वस्तीकरण के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया गया। परिणामस्वरूप आज यह इमारत एक मौत के फंदे की तरह क्षेत्र के निवासियों के लिए खतरनाक बन चुकी है।
पिछले कई दिनों से क्षेत्र में लगातार रुक-रुक कर बारिश हो रही है, जिससे जर्जर भवन में नमी भर गई और उसकी दीवारें और छत और अधिक कमजोर हो गई। इसी वजह से रविवार को भवन का एक हिस्सा अचानक भरभराकर गिर पड़ा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, घटना के समय कमरे के भीतर दो आवारा गायें बारिश से बचने के लिए शरण ली हुई थीं। जैसे ही इमारत का हिस्सा गिरा, वे मलबे में बुरी तरह दब गईं और उनकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।
हादसे से टल गई बड़ी जनहानि, गुस्से में लोग
स्थानीय लोगों ने बताया कि यह भवन रिहायशी इलाके के नजदीक स्थित है और आसपास के बच्चे अक्सर इसके परिसर में खेलते हैं। हादसे के वक्त भी दो बच्चे भवन के नजदीक खेलते हुए देखे गए थे, जो महज कुछ मिनट पहले उस कमरे से हटे थे। यदि यह दुर्घटना कुछ पल पहले होती, तो जानमाल की बड़ी क्षति से इनकार नहीं किया जा सकता था।
ग्रामीणों का आरोप है कि वे कई वर्षों से इस खंडहरनुमा भवन को लेकर प्रशासन को सूचित करते आ रहे हैं। लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते इस जर्जर ढांचे को गिराने की कार्रवाई की होती, तो इस हादसे से बचा जा सकता था।
हादसे के बाद से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। स्थानीय लोगों ने न सिर्फ तत्काल इस भवन को गिराने की मांग की है, बल्कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी उठाई है। लोगों का कहना है कि इस तरह की प्रशासनिक अनदेखी किसी दिन बड़ी त्रासदी का कारण बन सकती है।
एक ग्रामीण ने गुस्से में कहा, “प्रशासन तब तक क्यों नहीं जागता, जब तक किसी की जान ना चली जाए? क्या अब भी किसी इंसान की मौत का इंतजार किया जा रहा है, ताकि कार्रवाई की जा सके?”