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खुद को जंजीरों में बांधकर खाटूधाम पहुंचा भक्त, अनोखी भक्ति देख हर कोई रह गया हैरान…

Narpat Mali
5 Min Read
श्याम भक्त केशव कुमार

सीकर/खाटूश्यामजी। राजस्थान के प्रसिद्ध खाटूधाम में रोज लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपने मन की मुरादें लेकर बाबा श्याम के दरबार में पहुंचते हैं। कोई अपनी पीड़ा लेकर आता है, कोई कर्ज से मुक्ति की आस में, कोई नौकरी, संतान या स्वास्थ्य की प्रार्थना करता है। लेकिन इस बार जो दृश्य खाटू मंदिर के प्रवेश द्वार पर दिखा, वहां मौजूद हर श्रद्धालु को चौंका दिया और भावुक भी कर दिया।

यह दृश्य था उत्तराखंड के रुद्रपुर निवासी केशव कुमार का, जो अपने पूरे शरीर को लोहे की 12 मोटी जंजीरों से लपेटकर बाबा श्याम के दर्शन करने पहुंचा था। उसके हाथ-पैर, कमर, यहां तक कि गर्दन तक जंजीरों में जकड़े हुए थे। शुरुआत में लोग हैरान थे कि आखिर यह कौन है, और क्यों खुद को इस तरह से कैद कर रखा है, लेकिन जब उसकी मंशा सामने आई तो हर कोई स्तब्ध रह गया।

केशव का कहना है कि उसका यह कदम किसी व्यक्तिगत मनोकामना के लिए नहीं था, बल्कि पूरे देश में मांसाहार बंद कराने की एक आध्यात्मिक पहल है। उसने बताया कि कुछ दिन पहले वह हल्द्वानी में एक भजन संध्या के लिए जा रहा था, तभी रास्ते में उसने खुलेआम जानवरों को काटते देखा। यह दृश्य उसके मन को अंदर तक झकझोर गया।

उसके अनुसार “जिस देश में गौ माता, तुलसी और पीपल तक को पूजनीय माना जाता है, वहां सड़कों पर खुलेआम जीव हत्या हो रही है, ये हमारी सभ्यता और संस्कृति पर कलंक है। मैंने उसी दिन संकल्प लिया कि जब तक देश में मांसाहार बंद नहीं होता, मैं खुद को जंजीरों में रखूंगा। बाबा श्याम के दरबार में प्रार्थना करूंगा और केंद्र सरकार से अपील करूंगा कि देश में मांसाहार को पूरी तरह से बंद किया जाए।”

जंजीरों में बंधा संदेश, जिसने सबका दिल छू लिया

खाटूधाम में जंजीरों में लिपटे केशव को देखकर कई लोग उसकी मानसिक स्थिति पर सवाल उठाते नजर आए, तो कुछ उसकी आस्था से अभिभूत हो गए। लेकिन जब उसने माइक पर अपने विचार और मंशा स्पष्ट की, तब वहां मौजूद कई श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं। किसी ने कहा कि यह सच्चा सनातन धर्म है, तो किसी ने इसे आत्मबलिदान की मिसाल बताया।

बाबा श्याम सबकी सुनते हैं, शायद मेरी भी सुन लें’- केशव

केशव का कहना है कि वह बाबा श्याम को “हारे का सहारा” मानता है और उसे पूर्ण विश्वास है कि बाबा उसकी अरदास जरूर सुनेंगे। “मैं कोई बड़ा नेता या अभिनेता नहीं हूं जो संसद में बात रख सकूं, लेकिन एक आम भक्त के नाते मैं बाबा के दरबार में आया हूं, जिन्होंने असंख्य असंभव को संभव किया है।”

दूसरी ओर, एक और भक्त ने चढ़ाया चांदी का मुकुट

वहीं, मध्यप्रदेश के हरदा जिले के रामशंकर बिश्नोई ने अपनी पूर्ण हुई मनोकामना के बाद बाबा श्याम को चांदी का मुकुट और कुंडल भेंट किए। रामशंकर ने बताया कि पिछले वर्षों में उनकी खेती में लगातार नुकसान हो रहा था। उन्होंने बाबा श्याम से मनोकामना की थी कि यदि फसल अच्छी हो और परिवार में सुख-शांति बनी रहे तो वे विशेष चढ़ावा चढ़ाएंगे। इस वर्ष उन्हें रिकॉर्ड मुनाफा हुआ, और उन्होंने वादा निभाते हुए श्याम बाबा के चरणों में चांदी का मुकुट अर्पित किया।

हर दिन नई आस्था की मिसाल

खाटूश्यामजी का दरबार केवल चमत्कारों का नहीं, बल्कि भक्ति के विविध रंगों का स्थान बन गया है। कोई लड्डू बांटकर मनोकामना पूर्ण होने की बात करता है, कोई निशान यात्रा निकालता है, तो कोई केशव की तरह देश के लिए कुछ बड़ा सोचकर बाबा के दरबार में हाजिरी देता है।

बाबा श्याम की महिमा के अनुसार, वे केवल अपने भक्तों की नहीं सुनते, बल्कि समाजहित में उठी सच्ची प्रार्थनाओं को भी अनसुना नहीं करते।

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