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ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन, रात 8 बजे देंगे बड़ा संदेश

Media Desk DNT
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फाइल फोटो

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रात 8 बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे। यह संबोधन ऐसे समय पर हो रहा है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात के बीच एक नया युद्धविराम समझौता हुआ है। गौरतलब है कि 7 मई को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए कायरतापूर्ण आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक सैन्य कार्रवाई शुरू की थी, जिसमें अब तक 100 से अधिक आतंकियों और पाकिस्तानी सेना के करीब 40 जवानों को ढेर किया गया है।

प्रधानमंत्री का यह संबोधन कई मायनों में अहम माना जा रहा है। यह पहली बार है जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत के बाद वे सीधे तौर पर देश को संबोधित करेंगे। साथ ही, यह संबोधन भारत-पाक के बीच हुए नए युद्धविराम समझौते के महज दो दिन बाद हो रहा है, जिसमें दोनों देशों ने जमीन, हवा और समुद्र – तीनों मोर्चों पर सभी प्रकार के सैन्य हमलों को रोकने पर सहमति जताई है।

क्या है ऑपरेशन सिंदूर?

‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना की एक सख्त और रणनीतिक जवाबी कार्रवाई थी, जो 7 मई को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू की गई थी। इस ऑपरेशन का उद्देश्य सीमापार आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करना और पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देना था कि भारत अब किसी भी प्रकार के उकसावे का सख्त जवाब देगा।

राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से अहम समय

प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दोनों देशों के बीच भविष्य के संबंधों की दिशा तय कर सकता है। एक ओर जहां भारत की सैन्य कार्रवाई ने देश में आक्रोशित जनभावनाओं को शांत किया, वहीं दूसरी ओर युद्धविराम की पहल ने यह संकेत दिया है कि भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन आत्मरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।

क्या हो सकती है प्रधानमंत्री के संबोधन की मुख्य बातें?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी अपने संबोधन में तीन प्रमुख बिंदुओं पर बात कर सकते हैं:

  1. ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और उसमें शामिल सैनिकों की वीरता।
  2. भारत की विदेश नीति और पाकिस्तान के साथ आगे की रणनीति।
  3. देशवासियों से संयम, एकता और राष्ट्रहित में सहयोग की अपील।

प्रधानमंत्री का यह संबोधन ऐसे समय पर आ रहा है जब देश में सुरक्षा, राष्ट्रीय गौरव और सीमाओं की रक्षा को लेकर लोगों की भावनाएं चरम पर हैं। ऐसे में उनका संदेश न केवल जनभावनाओं को दिशा देगा, बल्कि वैश्विक मंच पर भी भारत की स्थिति को स्पष्ट करेगा।

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