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“मैं पास हो गई मां…” लेकिन यह आवाज अब सिर्फ यादों में गूंजती है जालोर की होनहार बेटी सपना ने 77% अंक पाए, मगर नतीजे से पहले ही इस दुनिया को अलविदा कह गई

Vikash Mali
5 Min Read

जालोर, राजस्थान। दसवीं बोर्ड के नतीजे आए, घर-घर में खुशियां मनाई जा रही हैं। बच्चों की मेहनत रंग लाई है, और इस बार भी बेटियों ने बाजी मारी है। लेकिन राजस्थान के जालोर जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने हर किसी की आंखें नम कर दी हैं। एक ऐसी खबर, जिसमें मेहनत है, लगन है, बड़े सपने हैं लेकिन इन सबके बीच एक दर्दनाक हादसा भी है, जो एक होनहार बेटी को हमसे छीन ले गया।

हम बात कर रहे हैं जालोर जिले के मालवाड़ा गांव की रहने वाली सपना कुमारी की 15 साल की एक होशियार, मेहनती और आत्मविश्वास से भरपूर छात्रा, जो IAS अधिकारी बनने का सपना देखती थी। सपना ने दसवीं बोर्ड परीक्षा में 77 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए, लेकिन अफसोस, वो ये परिणाम देखने के लिए इस दुनिया में नहीं रही।

“मेरे पर्चे अच्छे गए हैं मां, अच्छे नंबर आएंगे” सपना का आत्मविश्वास

सपना का सपना बड़ा था। वह पढ़ाई में शुरू से ही अव्वल रही थी। स्कूल में उसके शिक्षक और सहपाठी उसकी मेहनत के कायल थे। हर कोई कहता था “यह लड़की एक दिन बहुत आगे जाएगी।”
बोर्ड परीक्षा के दौरान भी उसने पूरे आत्मविश्वास के साथ परीक्षा दी। उसने अपनी मां से कहा था “मेरे पर्चे बहुत अच्छे हुए हैं, इस बार मैं अच्छे नंबर लाऊंगी।”

लेकिन काश, नियति को भी ये मंजूर होता…

परीक्षा खत्म, और फिर वो हादसा… जिसने सब कुछ बदल दिया

परीक्षाएं खत्म होने के कुछ ही दिन बाद एक सुबह सपना रोज की तरह बाथरूम गई। लेकिन अचानक वह फिसल गई और उसके सिर में गहरी चोट आई। परिजन तुरंत उसे अस्पताल लेकर भागे, लेकिन इलाज के दौरान डॉक्टरों ने जवाब दे दिया।
सपना की मौत ने पूरे गांव को सदमे में डाल दिया। एक बच्ची जो आईएएस बनने का सपना देख रही थी, वह अब दुनिया में नहीं रही — यह खबर हर किसी के दिल को चीरने वाली थी।

रिजल्ट आया… बेटी की फोटो और मार्कशीट सीने से लगाकर रोते रहे माता-पिता

कल जब दसवीं बोर्ड का परिणाम आया तो गांव के लोग, सहेलियां, स्कूल का स्टाफ — सबने सपना के नंबर देखे। उसने वाकई शानदार प्रदर्शन किया था 77 फीसदी से अधिक अंक पाए थे।
लेकिन इस बार वो घर में खुद मिठाई लेकर नहीं आई।
इस बार मां-बाप ने ही उसकी मार्कशीट और तस्वीर को सीने से लगाकर आंसुओं में भीगे हाथों से मिठाई थाली में रखी, मगर मुंह मीठा कराने की हिम्मत किसी में नहीं थी।
घर में सन्नाटा पसरा था, लेकिन दीवारों पर उसकी तस्वीर, अलमारी में रखी किताबें और बिस्तर पर रखा उसका स्कूल बैग हर चीज उसके होने का एहसास करा रही थी।

“ऐसा लग रहा है अभी दरवाजे से आएगी, गले लगेगी और कहेगी – मां मैं पास हो गई हूं”

सपना की मां की हालत देखकर गांव के लोगों की आंखें भर आईं। मां बार-बार दरवाजे की ओर देखती रहीं।
“ऐसा लग रहा है जैसे सपना अभी आएगी, दौड़ कर लिपट जाएगी और कहेगी – मां मैं पास हो गई हूं।”
लेकिन अब सपना केवल यादों में है। उसकी आवाज, उसकी हंसी, उसकी किताबों में लिखे नोट्स, उसकी ड्राइंग सब अब उसकी गैरमौजूदगी को और ज़्यादा महसूस कराते हैं।

स्कूल में सन्नाटा, सहेलियों की आंखों में आंसू

सपना के स्कूल में भी रिजल्ट के दिन कोई जश्न नहीं हुआ। उसकी सहेलियां एक-दूसरे से लिपट कर रो पड़ीं। शिक्षक गमगीन थे।
“एक होनहार छात्रा को हमने खो दिया,” एक शिक्षक ने कहा।
“उसे पढ़ाना हमारे लिए सौभाग्य था, लेकिन अब केवल उसका नाम रजिस्टर में रह गया है।”

एक सपना, जो अब अधूरा रह गया…

सपना का सपना था देश की सेवा करना, समाज को बेहतर बनाना, एक IAS अधिकारी बनना। उसके जैसे कई बच्चे इस देश में अपने-अपने सपनों के साथ पढ़ाई कर रहे हैं, संघर्ष कर रहे हैं।
लेकिन कुछ सपने वक्त से पहले ही टूट जाते हैं और हम बस एक सिसकती हुई कहानी बनकर उन्हें सुनते रह जाते हैं।

🕯️ श्रद्धांजलि सपना कुमारी को – जो न सिर्फ एक होनहार छात्रा थी, बल्कि एक उम्मीद थी।

“कुछ कह गए, कुछ अधूरे रह गए,
वो सपने जो आंखों में थे, अब तस्वीरों में रह गए।”

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