धोरीमन्ना
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पाबूबेरा ने पृथ्वी दिवस के अवसर पर एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया, जो न सिर्फ विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा बना, बल्कि समाज को भी पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराने वाला रहा। विद्यालय परिसर में बच्चों ने पूरे जोश, उमंग और संकल्प के साथ अनेक गतिविधियाँ आयोजित कीं, जिनका उद्देश्य था – धरती मां की रक्षा और पर्यावरण संरक्षण का संदेश जन-जन तक पहुँचाना।
कार्यक्रम की शुरुआत स्कूल के शिक्षकों के निर्देशन में पॉलिथीन हटाओ अभियान से हुई। छात्र-छात्राओं ने विद्यालय परिसर एवं उसके आस-पास के क्षेत्र में फैलाए गए पॉलिथीन, प्लास्टिक व अन्य कचरे को एकत्रित कर उसका वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया। इस छोटे से कार्य के जरिए उन्होंने यह संदेश दिया कि “धरती को स्वच्छ और हरा-भरा बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।”
इसके बाद विद्यार्थियों ने विद्यालय परिसर में लगे पक्षियों के परिंडे में पानी भरकर जल संकट से जूझते जीव-जंतुओं के प्रति अपनी करुणा और दायित्व का परिचय दिया। इस दौरान बच्चों ने कई पक्षियों को पानी पीते देखा और खुशी से झूम उठे।
पौधारोपण और जल सिंचन:
इस अवसर पर बच्चों ने विद्यालय परिसर में विभिन्न प्रकार के पौधे लगाए – जिनमें नीम, करंज, गुलमोहर, शीतल छाया देने वाले वृक्षों के साथ औषधीय पौधों का भी रोपण किया गया। रोपण के बाद परिसर में स्थित लगभग 500 पेड़-पौधों को जल पिलाकर उन्होंने एक बार फिर से धरती मां के प्रति अपनी सच्ची श्रद्धा प्रकट की।
बौद्धिक गतिविधियाँ और नैतिक शिक्षा:
स्टेट अवार्डी शिक्षक श्री जगदीश प्रसाद विश्नोई ने बताया कि पृथ्वी दिवस केवल भाषणों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि प्रत्यक्ष कार्यों के माध्यम से बच्चों को जागरूक किया जाना जरूरी है। इसी उद्देश्य से बच्चों को पर्यावरण संरक्षण की गतिविधियों में सक्रिय रूप से सम्मिलित किया गया।
वरिष्ठ अध्यापक मोहनलाल चौधरी ने बच्चों को पृथ्वी दिवस का महत्व समझाते हुए कहा – “मानव का स्वस्थ जीवन तभी संभव है जब हमारा पर्यावरण संतुलित हो। ऐसे में विद्यार्थियों को चाहिए कि वे स्वयं पर्यावरण की रक्षा करें और अपने घर-परिवार को भी इसके लिए प्रेरित करें।”
कक्षा 7 के विद्यार्थी भावेश विश्नोई ने इस दौरान संस्कृत में “पृथ्वी वंदना” और अनेक श्लोकों का वाचन कर वातावरण को भावविभोर कर दिया। जैसे-जैसे भावेश श्लोक बोलता गया, वैसे-वैसे सभी विद्यार्थी उसके पीछे-पीछे उच्चारण करते गए, मानो धरती माता को सजीव रूप में नमन कर रहे हों।
कर्तव्यों की शपथ:
कार्यक्रम के अंत में सभी विद्यार्थियों ने एक स्वर में कई संकल्प लिए —
- प्रतिदिन पेड़-पौधों को पानी देंगे
- पक्षियों को दाना-पानी देंगे
- पॉलिथीन नहीं इस्तेमाल करेंगे
- गाय को रोटी खिलाएंगे
- साइकिल का अधिक प्रयोग करेंगे
- बुजुर्गों की सेवा करेंगे
- नशा और चोरी से दूर रहेंगे
- पर्यावरण के लिए सकारात्मक कार्य करेंगे
संस्कृति, सेवा और पर्यावरण का संगम:
यह कार्यक्रम मात्र एक आयोजन नहीं था, बल्कि एक चेतना थी – जो बच्चों के मन में पर्यावरण के प्रति प्रेम, सेवा और जिम्मेदारी की भावना को स्थायी रूप से अंकित कर गया। पाबूबेरा विद्यालय ने पृथ्वी दिवस को केवल एक तिथि तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे शिक्षा और संस्कार का पर्व बना दिया।