गुरुवार को जोधपुर कलेक्टर कार्यालय परिसर में उस समय एक भावनात्मक और असामान्य दृश्य देखने को मिला जब दो युवक सफेद कफन में लिपटे हुए अपने हाथों में एक ज्ञापन लेकर पहुंचे। ये युवक कोई प्रदर्शनकारी नहीं थे, बल्कि अपने समाज की दशकों पुरानी उपेक्षा और संवेदनशील मांग को प्रशासन के सामने रखने आए थे।प्रकाश सांसी और अजय सांसी नाम के ये दोनों युवक सांसी समाज से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने कलेक्टर कार्यालय के बाहर पहुंचकर सुरक्षा गार्ड से अंदर जाने की अनुमति मांगी और बताया कि वे जोधपुर शहर में अपने समाज के लिए श्मशान भूमि की मांग को लेकर ज्ञापन देने आए हैं। यह दृश्य देखकर वहां उपस्थित लोग कुछ क्षणों के लिए स्तब्ध रह गए। किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि कोई कफन ओढ़कर इस तरह प्रशासन के सामने अपनी बात रखने पहुंचेगा।
कहीं जगह नहीं, मजबूरी में सुनसान में दफनाया गया मासूम
सांसी समाज मुख्यतः पांच बत्ती इलाके में निवास करता है और वर्षों से वहीं बसा हुआ है। इस समाज की परंपरा के अनुसार, जब किसी बच्चे की मृत्यु होती है तो उसका दफन संस्कार किया जाता है। पहले यह दफन क्रिया एयरपोर्ट क्षेत्र के पास स्थित एक भूमि पर संपन्न होती थी, लेकिन अब वहां सरकारी विकास कार्यों के चलते वह भूमि प्रशासनिक उपयोग में ले ली गई है। इसके बाद से समाज के पास मृत बच्चों को दफनाने के लिए कोई स्थान नहीं बचा।
बीते दिनों प्रकाश सांसी के छोटे बेटे का निधन हो गया। दुखद घड़ी में उन्हें अपने बेटे का अंतिम संस्कार सुनसान इलाके में जाकर करना पड़ा, क्योंकि शहर में उनके समाज के लिए अब कोई अधिकृत श्मशान भूमि नहीं बची है। यह घटना समाज के भीतर पीड़ा और असहायता की भावना को और गहरा कर गई।
भावुक पिता की पुकार – “क्या मरने के बाद भी चैन नहीं मिलेगा?”
कफन ओढ़े प्रकाश सांसी जब मीडिया से रूबरू हुए तो उनकी आंखों में आंसू थे। वे बोले –”ज़िंदा रहते तो किसी ने नहीं सुना। सोचते थे कि मरने के बाद शायद आत्मा को शांति मिलेगी। लेकिन अब तो अंतिम संस्कार के लिए भी जगह नहीं बची। क्या हमारी आत्माएं भी भटकती रहेंगी?”
उनके साथ मौजूद अजय सांसी ने कहा –”हम ये मांग वर्षों से कर रहे हैं, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यह सिर्फ सांसी समाज की ही नहीं, जोधपुर के कई समाजों की समस्या बन चुकी है। विकास के नाम पर श्मशान भूमि या तो खत्म हो रही है या किसी अन्य प्रयोजन में ली जा रही है। अब समय आ गया है कि प्रशासन इस दिशा में गंभीरता से सोचे।”
ज्ञापन नहीं हो सका सौंप, मायूस होकर लौटे
दोनों युवक जिला कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन लेकर पहुंचे थे जिसमें मांग की गई थी कि सांसी समाज के लिए एक निश्चित श्मशान भूमि चिन्हित कर दी जाए। दुर्भाग्यवश, उस समय कलेक्टर जनसुनवाई में व्यस्त थे और दोनों युवक उन्हें ज्ञापन नहीं सौंप सके। मजबूरन उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ा।