गुरुवार रात बालोतरा और आसपास के क्षेत्रों में हुई झमाझम बारिश ने जहां एक ओर किसानों और आमजन को गर्मी और उमस से राहत दी, वहीं दूसरी ओर शहर की अव्यवस्थाओं की परतें खोल दीं। लगभग एक घंटे तक चली तेज़ बारिश के बाद शहर के प्रमुख इलाकों में जलभराव हो गया, जिससे लोगों का जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया। नगर परिषद द्वारा किए गए दावे और तैयारियों की पोल खुल गई है।
शहर के कई निचले इलाकों, कॉलोनियों, मुख्य बाजार और अस्पताल परिसरों में जलभराव की गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है। कई क्षेत्रों में 2 से 3 फीट तक पानी भर जाने से आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई दुकानों में पानी घुस गया, जिससे व्यापारियों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश किसानों के लिए राहत की बौछार बनकर आई, जिससे खेतों में नमी बढ़ गई और खरीफ फसलों की बुवाई का मार्ग प्रशस्त हो गया।

जलभराव बना शहर के लिए संकट, नगर परिषद बेपरवाह
शहर की नालियों की समय पर सफाई नहीं होने के कारण तेज बारिश का पानी सड़कों पर बहने लगा। नालियों से ओवरफ्लो होता गंदा पानी सड़क पर जमा हो गया, जिससे न सिर्फ बदबू फैल गई, बल्कि बीमारियों की आशंका भी बढ़ गई है। मुख्य बाजार, पुराना बस स्टैंड, अग्रवाल कॉलोनी, खेड़ रोड, नेहरू कॉलोनी और कुमाहरो चौक जैसे इलाकों में जलभराव से हालात बेकाबू हो गए।
नेहरू कॉलोनी में स्थिति सबसे गंभीर रही। यहां सड़कें पूरी तरह से पानी में डूब गईं। स्थानीय लोगों ने तंज कसते हुए कहा कि “अब इस सड़क को सड़क नहीं बल्कि ‘समुद्र मार्ग’ कहना चाहिए।” हर वर्ष मानसून से पहले नगर परिषद नालों की सफाई के दावे करती है, लेकिन परिणाम हर बार यही होता है बारिश होते ही बालोतरा जलमग्न हो जाता है।

सिर्फ बारिश नहीं, बहा ‘विकास’ का दावा भी
अग्रवाल कॉलोनी और खेड़ रोड पर हुए नवीन सड़क निर्माण कार्यों की भी असलियत सामने आ गई है। जैसे ही तेज बारिश हुई, वहां सड़कों पर पानी भर गया और नई बनी सड़कें दरारों और गड्ढों से भर गईं। स्थानीय निवासियों ने व्यंग्य करते हुए कहा इस बार केवल पानी नहीं बहा, बालोतरा के ‘विकास’ की नदियां बह गईं।
अग्रवाल कॉलोनी में न्यू तेरापंथ भवन के पास दो बिजली के खंभे गिरने की सूचना मिली है, जिससे क्षेत्र में बिजली आपूर्ति भी बाधित हो गई। हालांकि कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन इससे प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट संकेत मिलता है।

नाहटा अस्पताल भी नहीं बच सका, मरीज बेहाल
सरकारी नाहटा अस्पताल परिसर में भी बारिश का पानी भर गया, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ा। अस्पताल जैसी महत्वपूर्ण जगह पर जलभराव होना नगर परिषद की विफलता का बड़ा उदाहरण है।

10 फीट गहरे गड्ढे में गिरा बाइक सवार, बिजली के करंट से मरे दो गौवंश
गुरुवार रात खेड़ रोड स्थित गोगाजी मंदिर के पास एक दर्दनाक हादसा होते-होते टल गया, जब वहां सीवरेज लाइन बिछाने के लिए खोदे गए दस फीट गहरे गड्ढे में एक बाइक सवार गिर गया। बारिश और अंधेरे में गड्ढा दिखाई नहीं देने से युवक बाइक समेत उसमें जा गिरा। आसपास मौजूद लोगों ने तुरंत दौड़कर घायल को बाहर निकाला। सौभाग्य से युवक को गंभीर चोट नहीं आई, लेकिन यह घटना एक बड़ी लापरवाही की ओर इशारा कर रही है।

वहीं नेहरू कॉलोनी के एक पार्क के पास बारिश के दौरान करंट फैलने से दो गौवंश की मौत हो गई। करंट फैलने का कारण जलभराव और खुले बिजली के तार बताए जा रहे हैं। इस हादसे से क्षेत्र में डर का माहौल बन गया है।

किसानों के चेहरे खिले, खरीफ फसलों को राहत
गांवों में इस बारिश ने किसानों के चेहरों पर मुस्कान लौटा दी है। पिछले कई दिनों से वर्षा का इंतजार कर रहे किसान अब खेतों में बुवाई की तैयारी में जुट गए हैं। खेतों में आई नमी के कारण मूंग, मोठ, बाजरा और तिल की फसलें बोने का आदर्श समय आ गया है।
किसानों ने बताया कि यदि इसी प्रकार दो-तीन बारिश और हो जाए तो इस बार अच्छी फसल की उम्मीद है।
जनता का फूटा गुस्सा, प्रशासन से जवाब तलब
शहरवासियों का कहना है कि हर साल मानसून से पहले नगर परिषद सिर्फ औपचारिकताओं में उलझी रहती है। वार्डों में दिखावे के लिए कुछ नालों की सफाई होती है, लेकिन पूरी व्यवस्था की कोई निगरानी नहीं होती। लोगों ने आरोप लगाया कि परिषद के पास बजट आने के बाद भी कार्यों में पारदर्शिता नहीं होती है
लोगों का कहना है कि हर बार चुनाव में विकास की बातें होती हैं, लेकिन सच यह है कि एक हल्की सी बारिश नगर परिषद की सच्चाई उजागर कर देती है। अगर पहली बारिश में यह हाल है, तो आगे क्या होगा?

जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर भी सवाल
स्थानीय पार्षदों और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी अब लोगों के लिए चिंता का विषय बन गई है। न तो कोई पार्षद मौके पर पहुंचा और न ही नगर परिषद की ओर से कोई राहत कार्य शुरू किया गया। नालों की सफाई, जल निकासी, रोशनी और सड़कों की मरम्मत जैसे मूलभूत मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
बालोतरा की इस पहली ही बारिश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नगर परिषद को केवल फाइलों में नहीं, धरातल पर काम करना होगा। वरना हर वर्ष की तरह एक बार फिर बारिश राहत कम और आफत ज़्यादा बनती रहेगी।
अब देखना यह है कि नगर परिषद इस जन आक्रोश को समझती है या फिर इसे भी ‘मानसून का स्वाभाविक परिणाम’ कहकर टाल देती है।
